संघीय बजट 2025: करदाता उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार नए कर व्यवस्था के तहत बुनियादी छूट सीमा को ₹3,00,000 से बढ़ाकर ₹5,00,000 कर सकती है, जिससे अधिक उपलब्ध आय और बढ़ी हुई बचत का लाभ मिलेगा।
2025 का संघीय बजट: नए कर व्यवस्था के तहत मध्यम वर्ग की 5 प्रमुख अपेक्षाएँ
नए कर व्यवस्था की घोषणा बजट 2020 में की गई थी, जिसका उद्देश्य कर संरचना को सरल बनाना और करदाताओं को कम दरों से लाभ पहुँचाना था। हालांकि, पुराने कर व्यवस्था में जो कई लोकप्रिय छूट और कटौतियाँ थीं, जैसे हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA), वे नई व्यवस्था में उपलब्ध नहीं हैं, जिससे यह व्यक्तियों के लिए कम आकर्षक हो गई है।
क्या नए कर व्यवस्था में मध्यम वर्ग को अधिक कर राहत मिल सकती है? आइए जानते हैं सरकार से उनकी 5 प्रमुख अपेक्षाएँ।
1. बुनियादी छूट सीमा में वृद्धि
वर्तमान में, नए कर व्यवस्था के तहत बुनियादी छूट सीमा ₹3,00,000 है। उम्मीद की जा रही है कि सरकार इसे ₹5,00,000 तक बढ़ा सकती है। इससे करदाताओं को अधिक उपलब्ध आय मिलेगी।
2. एनपीएस में व्यक्तिगत योगदान को शामिल करना
अब तक, राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) में केवल नियोक्ता का योगदान ही नई व्यवस्था के तहत शामिल किया गया है, जबकि व्यक्तिगत योगदान को इसमें शामिल नहीं किया गया है। सरकार इस योगदान को नई व्यवस्था में शामिल करने पर विचार कर सकती है, जैसा कि यह पुराने कर व्यवस्था में शामिल है।
3. धारा 87A छूट सीमा में वृद्धि
वर्तमान में, धारा 87A के तहत ₹7,00,000 तक की आय पर 100% कर छूट मिलती है। उम्मीद की जा रही है कि आय सीमा को ₹8,00,000 तक बढ़ाया जा सकता है, जिससे अधिक करदाता लाभान्वित हो सकते हैं।
4. कर स्लैब में बदलाव
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार नए कर व्यवस्था के तहत कर स्लैब को संशोधित कर सकती है, विशेषकर 30% कर स्लैब को ₹15,00,000 तक की आय से बढ़ाकर ₹20,00,000 तक कर सकती है। इससे उच्च आय वालों को कर में राहत मिल सकती है।
5. मानक कटौती सीमा में वृद्धि
पिछले बजट में सरकार ने मानक कटौती सीमा ₹50,000 से बढ़ाकर ₹75,000 कर दी थी। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार इसे ₹1,00,000 तक बढ़ा सकती है, ताकि नया कर व्यवस्था करदाताओं के लिए अधिक आकर्षक बने।
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