अपने भाषण में विपक्ष के नेता ने यह स्पष्ट किया कि युद्ध केवल सेनाओं और उनके हथियारों के बीच नहीं होते, बल्कि यह औद्योगिक प्रणालियों के बीच भी होते हैं।
लोकसभा में राहुल गांधी का भाषण: चीन की उपस्थिति और उत्पादन पर ध्यान देने की आवश्यकता
नई दिल्ली:
सोमवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता (LoP) राहुल गांधी ने कहा कि चीन “भारत के अंदर बैठा हुआ है” क्योंकि मेक इन इंडिया पहल विफल हो गई है। उन्होंने बढ़ती बेरोजगारी के कारण सामाजिक तनाव को बढ़ने से रोकने के लिए उत्पादन पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आलोचना
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी हमला करते हुए कहा कि यदि INDIA गठबंधन सत्ता में होता, तो वे अमेरिका में भारतीय प्रधानमंत्री के “कोरोनेशन” के लिए विदेश मंत्री को “तीन या चार बार” नहीं भेजते, बल्कि एक मजबूत उत्पादन प्रणाली बनाने पर ध्यान देते, जो अमेरिका को भारत को निमंत्रण देने के लिए मजबूर कर देती।
सीमा पर चीन की आक्रामकता और उत्पादन की कमी
राहुल गांधी ने चल रहे बजट सत्र के पहले दिन संयुक्त सत्र में अपने भाषण में कहा कि भारत में मैन्युफैक्चरिंग की ताकत की कमी के कारण ही चीन की सीमा पर आक्रामक गतिविधियाँ बढ़ी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि INDIA गठबंधन के तहत सरकार चीन से न केवल उत्पादन के मोर्चे पर मुकाबला करती, बल्कि दलितों, ओबीसी, आदिवासियों की भागीदारी को भी क्रांतिकारी बना देती, ताकि वे देश के शासन, संस्थाओं और संपत्ति वितरण में अधिक हिस्सा ले सकें।
चीन की मजबूत औद्योगिक प्रणाली
राहुल गांधी ने यह बताया कि चीन के पास एक मजबूत और बड़ा औद्योगिक सिस्टम है, जिसकी वजह से वह भारत में घुसने की हिम्मत रखता है। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भले ही चीनी सेना के भारत में घुसने के आरोपों को नकारा, लेकिन सेना प्रमुख ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि चीनी सैनिक भारत में मौजूद हैं।
युद्ध केवल सेनाओं और हथियारों के बीच नहीं होते
राहुल ने यह भी कहा कि आज के युद्ध केवल सेनाओं और उनके हथियारों के बीच नहीं होते, बल्कि यह औद्योगिक प्रणालियों के बीच भी होते हैं। उन्होंने यह बताते हुए कहा कि यदि INDIA गठबंधन सत्ता में होता, तो राष्ट्रपति का संबोधन कुछ इस तरह होता।
मेक इन इंडिया की विफलता
राहुल गांधी ने कहा कि चीन भारत के अंदर इसलिए बैठा है क्योंकि मेक इन इंडिया योजना विफल हो गई है। उन्होंने यह स्वीकार किया कि मेक इन इंडिया योजना एक अच्छा विचार था, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग के GDP में हिस्से में 2014 में 15.3% से घटकर आज 12.6% हो गया है, जो पिछले 60 सालों में सबसे कम है। राहुल ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कोशिश की, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह योजना विफल रही।
उत्पादन की व्यवस्था में भारत की असफलता
राहुल ने यह भी कहा कि भारत में उत्पादन की व्यवस्था में असफलता रही है। महिंद्रा, बजाज और टाटा जैसी कंपनियाँ उत्पादन को व्यवस्थित करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन देश का रिकॉर्ड बहुत खराब है। राहुल ने यह आरोप लगाया कि भारत ने उत्पादन की व्यवस्था चीन को सौंप दी है।
उत्पादन पर ध्यान दें, उपभोग पर नहीं
राहुल गांधी ने मुख्य संदेश दिया कि भारत को केवल उपभोग पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि उत्पादन पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर हम सिर्फ उपभोग पर ध्यान देंगे, तो बड़े घाटे होंगे, असमानताएँ बढ़ेंगी और बेरोजगारी के कारण गंभीर सामाजिक समस्याएँ उत्पन्न होंगी।
भारत-यूएस संबंधों का इस्तेमाल
राहुल ने यह भी सुझाव दिया कि भारत को अमेरिका के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी का उपयोग करके एक मजबूत औद्योगिक प्रणाली बनाने पर ध्यान देना चाहिए। उनका कहना था कि अमेरिका भारत के बिना एक सफल औद्योगिक प्रणाली नहीं बना सकता, क्योंकि उनकी लागत संरचना भारत की तुलना में बहुत महंगी है। भारत वह काम कर सकता है, जो अमेरिका कभी नहीं सोच सकता था।
विदेश नीति में बदलाव
राहुल ने कहा कि भारत की विदेश नीति को इस नए दृष्टिकोण के अनुसार बदलना होगा। वे मानते थे कि भारत अगर मजबूत उत्पादन प्रणाली और नई तकनीकों पर काम कर रहा होता, तो अमेरिकी राष्ट्रपति भारत आते और प्रधानमंत्री को निमंत्रण देते।
सरकारी प्रतिक्रिया
राहुल के बयान का विरोध सत्तारूढ़ दल ने किया, जहां प्रधानमंत्री मोदी भी उपस्थित थे। संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि राहुल बिना आधार के आरोप लगा रहे हैं। स्पीकर ओम बिड़ला ने भी राहुल से कहा कि वे अपने आरोपों को तथ्यों के साथ प्रस्तुत करें।
डेटा और AI पर ध्यान देने की आवश्यकता
राहुल ने यह भी कहा कि भारत को उत्पादन प्रक्रियाओं से निकलने वाले डेटा को नियंत्रित करने के लिए निवेश करना चाहिए, ताकि वह AI क्रांति का लाभ उठा सके। उनका कहना था कि AI बिना डेटा के बेकार है और वर्तमान में उपभोग और उत्पादन डेटा दोनों पर अमेरिका और चीन का नियंत्रण है।
चीन की 10 साल की बढ़त
राहुल ने कहा कि चीन भारत से कम से कम 10 साल आगे है, विशेष रूप से बैटरियों, रोबोटिक्स, मोटर्स और ऑप्टिक्स के क्षेत्रों में। भारत को इन क्षेत्रों में विशिष्ट तकनीकी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
रोजगार निर्माण का मुद्दा
राहुल ने यह भी कहा कि न तो UPA सरकार और न ही वर्तमान NDA सरकार ने युवाओं के लिए नौकरी निर्माण के बारे में स्पष्ट उत्तर दिए हैं। उनका कहना था कि भारत की युवा पीढ़ी बेरोजगारी की समस्या का सामना कर रही है।
राहुल गांधी ने इस भाषण में अपने आम तौर पर अदानी और अंबानी जैसे व्यापारिक समूहों के खिलाफ आलोचना से बचते हुए, भारत के औद्योगिक और तकनीकी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया।
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