भारत सरकार ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) को पुनः प्राप्त करने के लिए एक ठोस योजना तैयार की है, जिसे ‘मोदी फॉर्मूला’ कहा जा रहा है। इस फॉर्मूले का उद्देश्य कश्मीर मुद्दे का स्थायी समाधान निकालना है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में लंदन में एक कार्यक्रम के दौरान इस संदर्भ में पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया।
पीओके की संवैधानिक स्थिति और भारत का दृष्टिकोण
भारत के संविधान के अनुसार, जम्मू-कश्मीर राज्य का पूरा क्षेत्र, जिसमें पीओके भी शामिल है, भारत का अभिन्न अंग है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीओके के लिए 24 सीटें आरक्षित हैं, जो इस क्षेत्र पर भारत के दावे को प्रदर्शित करती हैं। 2020 में परिसीमन आयोग के गठन के बाद, जम्मू क्षेत्र के लिए छह अतिरिक्त सीटें निर्धारित की गईं, जिससे कुल सीटों की संख्या 43 हो गई।
नेताओं के बयान और पीओके पर भारत की प्रतिबद्धता
कई भारतीय नेताओं ने पीओके को भारत में शामिल करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि पीओके भारत का हिस्सा है और हम इसे लेकर रहेंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति की तुलना करते हुए कहा कि पीओके में लोग भारत का हिस्सा बनने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, क्योंकि भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शासन है और वे यहां खुशहाल रह सकते हैं।
भारत-पाकिस्तान संबंध और कूटनीतिक प्रयास
पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के प्रयासों के बावजूद, भारत ने अपनी सुरक्षा और संप्रभुता के मुद्दों पर सख्त रुख अपनाया है। पाकिस्तान के साथ व्यापार और कूटनीतिक संबंधों में सुधार की संभावनाओं पर विचार करते समय, मोदी सरकार ने सावधानी बरती है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की वापसी और भारत के साथ संबंध सुधारने की उनकी इच्छा के बावजूद, भारत ने अपने हितों को प्राथमिकता दी है।
एस. जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा और संदेश
अक्टूबर 2024 में, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान का दौरा किया। यह लगभग एक दशक में किसी भारतीय विदेश मंत्री की पहली पाकिस्तान यात्रा थी। हालांकि, जयशंकर ने स्पष्ट किया कि यह यात्रा केवल बहुपक्षीय उद्देश्यों के लिए थी और भारत-पाकिस्तान द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा नहीं होगी।
कश्मीर मुद्दे पर भारत का रुख और भविष्य की दिशा
भारत ने हमेशा कश्मीर को अपना अभिन्न अंग माना है और इस मुद्दे पर किसी भी समझौते के लिए तैयार नहीं है। पीओके को पुनः प्राप्त करने की योजना और ‘मोदी फॉर्मूला’ इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आने वाले समय में, भारत अपनी कूटनीतिक और सामरिक नीतियों के माध्यम से इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
निष्कर्ष
पीओके को पुनः प्राप्त करने की योजना और कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए ‘मोदी फॉर्मूला’ भारत की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सरकार के इस कदम से न केवल क्षेत्र में स्थिरता आएगी, बल्कि कश्मीर के लोगों के लिए भी एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित होगा।
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