दिल्ली हाईकोर्ट ने सीएजी रिपोर्ट पेश करने में देरी के लिए दिल्ली सरकार की आलोचना की, लेकिन विशेष सत्र बुलाने की याचिका खारिज कर दी। चुनाव से पहले रिपोर्ट पेश करने की राजनीतिक बहस अब भी जारी है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने बीजेपी विधायकों की सीएजी रिपोर्ट पेश करने के लिए विधानसभा सत्र बुलाने की याचिका खारिज की
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बीजेपी के सात विधायकों, जिनमें विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता भी शामिल हैं, की याचिका खारिज कर दी। यह याचिका विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल को सीएजी की 14 रिपोर्ट पेश करने के लिए विशेष सत्र बुलाने के निर्देश देने के लिए दायर की गई थी। हालांकि, कोर्ट ने दिल्ली सरकार द्वारा रिपोर्ट भेजने में हुई देरी की आलोचना की।
कोर्ट का बयान
जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि सीएजी रिपोर्ट पेश करना एक संवैधानिक आवश्यकता है। लेकिन दिल्ली सरकार ने रिपोर्ट स्पीकर को भेजने में बहुत देरी की। कोर्ट ने इस देरी को गलत ठहराया, लेकिन विशेष सत्र बुलाने की याचिका को स्वीकार नहीं किया।
अन्य लंबित याचिका
एक अन्य याचिका, जिसमें चुनाव से पहले सीएजी रिपोर्ट तुरंत प्रकाशित करने की मांग की गई है, अभी चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच के पास लंबित है।
सीएजी रिपोर्ट का विवरण
सीएजी की रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं, जैसे:
- दिल्ली की शराब नीति
- वाहन प्रदूषण
- सार्वजनिक स्वास्थ्य
- 2017-18 से 2021-22 तक सरकारी विभागों का प्रदर्शन
चुनाव से पहले इन रिपोर्ट्स को लेकर आप और बीजेपी के बीच राजनीतिक विवाद बढ़ गया है। बीजेपी का आरोप है कि आप सरकार रिपोर्ट छुपा रही है ताकि चुनावी प्रदर्शन पर असर न पड़े। वहीं, आप ने इन आरोपों को “झूठा” बताया है।
बीजेपी का तर्क
बीजेपी विधायकों का कहना था कि भले ही चुनाव की घोषणा हो चुकी हो, लेकिन विधानसभा का कार्यकाल जारी है, इसलिए विशेष सत्र बुलाया जा सकता है।
दिल्ली सरकार का पक्ष
दिल्ली सरकार और विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा:
- रिपोर्ट पेश करने के लिए विधानसभा का सत्र बुलाना जरूरी नहीं है।
- रिपोर्ट पेश करने की प्रक्रिया, जैसे कि पीएसी (पब्लिक अकाउंट्स कमेटी) की समीक्षा और विभागों से परामर्श, इतने कम समय में पूरी नहीं हो सकती।
- विधानसभा का कार्यकाल 20 दिनों में समाप्त हो रहा है, इसलिए सत्र बुलाना व्यावहारिक नहीं है।
दिल्ली सरकार का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा, “अगर रिपोर्ट पेश करने में 10-15 दिनों की देरी होती है तो कोई बड़ी बात नहीं है। यह जल्दबाजी राजनीतिक है, जरूरी नहीं।”
कोर्ट की आलोचना
13 जनवरी को, जस्टिस दत्ता ने रिपोर्ट में देरी के लिए दिल्ली सरकार की आलोचना की। कोर्ट ने इसे “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया और सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा, “आपको रिपोर्ट तुरंत स्पीकर को भेजनी चाहिए थी। यह देरी आपकी नीयत पर सवाल खड़े करती है।”
आगामी चुनाव
दिल्ली विधानसभा चुनाव 5 फरवरी को होंगे और परिणाम 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। चुनाव से पहले रिपोर्ट पेश करने के लिए कम समय बचा है, जो इस प्रक्रिया को और चुनौतीपूर्ण बनाता है।
इसके अलावा पढ़ें-फलोदी सट्टा बाजार ने 2025 दिल्ली चुनाव में AAP को 39-41 सीटों के साथ बहुमत मिलने का अनुमान जताया
+ There are no comments
Add yours