मोहम्मद शमी को ट्रोल करने वालों को हाशिम अमला का करारा जवाब: 'मैं उस पारी के दौरान रोज़े पर नहीं था'

मोहम्मद शमी को ट्रोल करने वालों को हाशिम अमला का करारा जवाब: ‘मैं उस पारी के दौरान रोज़े पर नहीं था’

मोहम्मद शमी को रमज़ान के दौरान मैच में एनर्जी ड्रिंक पीने पर ट्रोल किया गया, ट्रोलर्स ने हाशिम अमला के 311 रन की पारी का हवाला दिया। अमला ने स्पष्ट किया कि उस पारी के दौरान वे रोज़े पर नहीं थे।​

मोहम्मद शमी को ट्रोल करने के लिए हाशिम अमला की 311 रनों की पारी का ज़िक्र, जानिए पूरी सच्चाई

भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार गेंदबाज मोहम्मद शमी हाल ही में सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स के निशाने पर आ गए। एक खास मुद्दे को लेकर कुछ लोगों ने उन्हें घेरने की कोशिश की और इसमें दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर हाशिम अमला की 311 रनों की ऐतिहासिक पारी का भी ज़िक्र किया गया। यह विवाद तब शुरू हुआ जब सोशल मीडिया पर यह दावा किया जाने लगा कि अमला ने रमजान के दौरान रोज़े रखते हुए 311 रनों की पारी खेली थी, और इसी संदर्भ में शमी को ट्रोल किया गया। लेकिन इस मामले की पूरी सच्चाई कुछ और ही है।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, सोशल मीडिया पर कुछ यूज़र्स ने यह कहना शुरू कर दिया कि हाशिम अमला ने साल 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ 311 रनों की पारी रमजान के दौरान खेली थी, और वे उस समय रोज़े से थे। इसी तर्क को आधार बनाकर कुछ लोगों ने भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी को ट्रोल करना शुरू कर दिया। इन ट्रोलर्स का दावा था कि अगर हाशिम अमला रोज़े में इतने रन बना सकते हैं, तो भारतीय मुस्लिम खिलाड़ी भी रोज़े रखकर खेल सकते हैं।

यह मुद्दा कुछ समय में ही चर्चा का विषय बन गया, और कई लोगों ने इसपर अपनी राय देनी शुरू कर दी। कुछ लोग शमी का समर्थन कर रहे थे, तो कुछ लोग उन्हें ट्रोल कर रहे थे। लेकिन सवाल यह उठता है कि इस दावे में कितनी सच्चाई है? क्या वाकई हाशिम अमला ने रोज़े रखते हुए 311 रनों की पारी खेली थी?

क्या हाशिम अमला ने रोज़े में खेली थी 311 रनों की पारी?

अगर ऐतिहासिक रिकॉर्ड देखें, तो हाशिम अमला ने 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ ओवल में 311 रनों की शानदार पारी खेली थी। यह दक्षिण अफ्रीका के किसी भी बल्लेबाज द्वारा टेस्ट क्रिकेट में बनाया गया सबसे बड़ा स्कोर है। लेकिन उस वक्त रमजान नहीं था!

2012 में रमजान का महीना 20 जुलाई से 18 अगस्त के बीच था, जबकि हाशिम अमला ने यह पारी 19 जुलाई से 22 जुलाई के बीच खेली थी। इसका मतलब है कि जब उन्होंने यह पारी खेली, तब रमजान का पहला ही दिन था, और उन्होंने पूरे टेस्ट मैच के दौरान रोज़ा नहीं रखा था।

इसके अलावा, खुद हाशिम अमला ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे मैच के दौरान रोज़ा नहीं रखते थे, क्योंकि यह उनके खेल पर असर डाल सकता था। उन्होंने यह भी बताया था कि वे बाद में रोज़े की क़ज़ा रखते थे।

मोहम्मद शमी पर ट्रोलिंग क्यों?

अब सवाल यह उठता है कि अगर हाशिम अमला का रोज़े में खेलने का दावा गलत है, तो फिर मोहम्मद शमी को ट्रोल क्यों किया गया?

दरअसल, सोशल मीडिया पर अक्सर अफवाहें और गलत जानकारियाँ फैलती हैं। कुछ लोग बिना सच्चाई जाने किसी भी खबर को शेयर कर देते हैं, जिससे गलतफहमी पैदा होती है।

मोहम्मद शमी भारतीय क्रिकेट टीम के अहम तेज गेंदबाज हैं। वे कई बार अपनी फिटनेस और खेल प्रदर्शन को लेकर चर्चा में रहे हैं। हालांकि, वे धार्मिक मुद्दों पर ज्यादा बयान नहीं देते, लेकिन कुछ लोग जबरन इस मामले को उनपर थोपने की कोशिश करते हैं।

सोशल मीडिया पर कैसी रही प्रतिक्रिया?

इस पूरे मामले में सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं।

  • कुछ यूज़र्स ने शमी के समर्थन में लिखा कि खेल को धर्म से जोड़ना गलत है।
  • कुछ लोगों ने ट्रोलर्स को फटकार लगाई और कहा कि पहले सच्चाई जान लें, फिर कोई बात करें।
  • वहीं, कुछ यूज़र्स ने हाशिम अमला की पारी की तारीफ की, लेकिन रोज़े वाली अफवाह का खंडन किया।

क्रिकेट और धर्म को जोड़ना कितना सही?

क्रिकेट एक खेल है और यह व्यक्तिगत प्रदर्शन पर निर्भर करता है। किसी खिलाड़ी का रोज़ा रखना या न रखना, उसकी निजी पसंद है। खेल जगत में कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जो अपने धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए खेलते हैं, लेकिन यह उनकी फिटनेस और व्यक्तिगत निर्णय पर निर्भर करता है।

उदाहरण के तौर पर:

  • पाकिस्तान के कई क्रिकेटर रमजान के दौरान रोज़ा रखते हुए खेलते हैं।
  • कुछ फुटबॉलर भी रोज़े के दौरान खेलते हैं और अपनी डाइट के हिसाब से खुद को तैयार करते हैं।
  • लेकिन कुछ खिलाड़ी फिटनेस और परफॉर्मेंस के कारण मैच के दौरान रोज़ा नहीं रखते और बाद में इसकी क़ज़ा रखते हैं।

निष्कर्ष

इस पूरे मामले से एक महत्वपूर्ण सबक मिलता है कि सोशल मीडिया पर किसी भी खबर को बिना जांचे-परखे शेयर नहीं करना चाहिए। हाशिम अमला के 311 रनों की पारी के दौरान रोज़े में खेलने का दावा गलत था, लेकिन फिर भी इसे बार-बार फैलाया गया। इसी गलतफहमी के कारण मोहम्मद शमी को ट्रोल किया गया।

खेल को धर्म से जोड़ना सही नहीं है, और हर खिलाड़ी को अपनी सेहत और खेल प्रदर्शन के अनुसार फैसले लेने का अधिकार है। मोहम्मद शमी और हाशिम अमला दोनों ही शानदार खिलाड़ी हैं और उनके खेल की तारीफ करनी चाहिए, न कि उनके धर्म को लेकर बेवजह विवाद खड़ा करना चाहिए।

इसलिए, जब भी कोई खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो, तो पहले उसकी सच्चाई जांच लें और फिर उसपर कोई प्रतिक्रिया दें।

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